मोहब्बत की जंग को हम तो पार गए
जितना पा सके उसी मैं इकरार कर गए
पर ये ज़िंदगी क्या चीज़ है किसी को जिता देता है
जिता कर भी लोगों को रुला देता है
जितना पा सके उसी मैं इकरार कर गए
पर ये ज़िंदगी क्या चीज़ है किसी को जिता देता है
जिता कर भी लोगों को रुला देता है
No comments:
Post a Comment