Friday, September 28, 2018

ठोस कदम

अब तो लेना ही है कोई ठोस कदम, यह वक़्त न शबब का है
ओर किसी की परवाह नहीं , यह इम्तिहाँ मेरे जवाब का है 

आप की याद

आप की याद न आये , इसी लिए मसरूफ रहते हैं
हम ही बेवकूफ़ थे , आप तो हमारी हर सांस में रहते हैं 

घांव

कितनी भी शायरी लिख्खूं , अपनी ग़म बयां नहीं कर पा रहे हैं
जितनी भी मरहम लगाऊं , दिल का घांव नहीं भर पा रहे हैं 

खो बैठे

आप को जाते देख फ़ासिला पार, हम अपनी ज़िंदगी खो बैठे
बाद में आप को नाखुश देखकर , अपनी ज़िंदादिली भी खो बैठे 

किस्मत

आप हमारे ज़िंदगी से दूर न हुए , हम हर एक पर दिलचस्पी खो बैठे
खुदा आप को तकल्लुफ न दे, हम तो अपने किस्मत पे रो बैठे
 

फ़ासिला

आपको हमसे दूर जाने को कह कर, हम तो कातिल बन गए
आप ने तो बेरूखी ओढ़ी , और फ़ासिला तय कर दिए 

वादा

हम वादा नहीं करते , जो कहते हैं वह करते हैं
हम सौदा नहीं करते , जो किसी ने दिया उसे भरते हैं 

गलती

हमने गलती करदी , अब माफी नहीं मांगेंगे
तब तक उनका गुस्सा जायज़ है, जब तक हम अपनी गलती न सुधारेंगे 

थोड़ी सी तो आस थी

हमने उन्हें दूर जाने को कहा, और हम ही आखिर रूठ गए
थोड़ी सी तो आस थी , उसी पर कुल्हाड़ी मार दिए 

दूरी

हम तो उनसे दूर चले , लेकिन ये दिल न चल पा रहा है
हम तो यह कहने से रहे , लेकिन यह आशिक उनसे न मिल पा रहा है

 

नजानी

हम तो दिल दे बैठे थे , ये हमने जाना नहीं
अब तो हमें माफ़ करदो , की उसको हमने माना नहीं


 

चाहतों की लड़ाई

एक बार हमने भी सोचा , हो जाये लड़ाई हमारे चाहतों की
लेकिन अब तो जिद छोडो हम हारे , चलो शुरू करें नए मुलाकातों की
 

हर आशिक़ ने चख्खा है

ये इश्क़ नहीं आसान ऐसे कवियों ने लिख्खा  है
लेकिन इसका माझा तो हर आशिक़ ने चख्खा है